सरकार ने मंगलवार को बुलाई सर्वदलीय बैठक, श्रीलंका मुद्दे पर होगी चर्चा

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श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट के बीच केंद्र सरकार ने मंगलवार शाम को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस दौरान श्रीलंका के बने हालात पर चर्चा की जाएगी। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने रविवार को यह घोषणा करते हुए कहा कि मंगलवार को हम श्रीलंकाई संकट पर संक्षिप्त जानकारी के लिए एक और सर्वदलीय बैठक बुला रहे हैं। हमने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर से यह ब्रीफिंग करने का अनुरोध किया है।

सूत्रों के अनुसार, विदेश सचिव के श्रीलंका की स्थिति और भारत द्वारा पूर्व में द्वीप राष्ट्र को दी गई सहायता पर सदस्यों के समक्ष एक प्रस्तुति देने की संभावना है। बैठक शाम 5:30 बजे शुरू हो सकती है। सूत्रों ने कहा कि सरकार कई राजनीतिक दलों की चिंताओं को दूर करने के लिए खुद ही बैठक बुला रही है। सबसे ज्यादा चिंता तमिलनाडु में है, क्योंकि वे श्रीलंकाई संकट और राज्य में शरणार्थियों की आमद से चिंतित हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर के साथ अपनी हालिया बैठक में तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने श्रीलंका की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की थी और आर्थिक रूप से प्रभावित राष्ट्र को राहत सामग्री भेजने की अनुमति मांगी थी। दरअसल, श्रीलंका आर्थिक और राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। 73 वर्षीय गोतबाया राजपक्षे 9 जुलाई को उनके आवास पर प्रदर्शनकारियों के धावा बोलने के बाद भाग गए थे। इसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। यहां तक कि अंतरिम राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को भी प्रधानमंत्री पद से अपने इस्तीफे का एलान करना पड़ा था। 225 सदस्यीय संसद 20 जुलाई को मतदान से नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगी।

इस बीच विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को अस्थाई आधार पर राष्ट्रपति पद की शपथ ली और श्रीलंका के सांसद 20 जुलाई को अपना औपचारिक वोट डालेंगे। वर्तमान में श्रीलंका ईंधन और अन्य आवश्यक आपूर्ति की भारी कमी का सामना कर रहा है और बढ़ती मुद्रास्फीति के साथ अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। तेल आपूर्ति की कमी ने स्कूलों और सरकारी कार्यालयों को अगली सूचना तक बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है।

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