रिमोट वोटिंग मशीन से क्‍यों डर गया विपक्ष

विपक्षी दलों का रिमोट वोटिंग मशीन देखे बिना ही विरोध करने का फैसला उसकी मंशा पर सवाल खड़ा करता है

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महेंद्र सिंह

ज्‍यादातर विपक्षी दलों ने रिमोट इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के प्रस्‍ताव का विरोध करने का फैसला किया है। विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ये ये जानकारी दी है। बैठक में कांग्रेस, सीपीआई एम, जनता दल यूनाइटेड, नेशनल कांफ्रेस, जेएमएम सहित कई विपक्षी दलों के नेताओं ने शिरकत की है। विपक्षी नेताओं ने रिमोट वोटिंग मशीन की व्‍यवस्‍था को मजबूत नहीं माना है। और दिलचस्‍प बात ये है कि विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के उस न्‍यौते से एक दिन पहले ये फैसला किया है जिसमें चुनाव आयोग ने सोमवार को राजनीतिक दलों के समक्ष रिमोट वोटिंग का प्रदर्शन करने की बात कही।

क्‍या है रिमोट वोटिंग मशीन

चुनाव आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक रिमोट इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्‍तेमाल करने का प्रस्‍ताव दिया है। इस रिमोट वोटिंग मशीन के जरिए अपने घर से दूर रह रहे मतदाता अपने लोकसभा क्षेत्र के लिए मतदान कर सकेंगे। ये मशीन उन लोगों को ध्‍यान में रख कर बनाई गई है जो अपने घर से बाहर शहरों में रह रहे हैं और किसी कारणवण मतदान के लिए अपने लोकसभा क्षेत में नहीं पहुंच पाते हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि इससे चुनाव में उन मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी जो किसी वजह से अपने क्षेत्र से बाहर रहने की वजह से वोट नहीं डाल पाते हैं। इससे चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत भी बढ़ेगा।

रिमोट वोटिंग मशीन पर अविश्‍वास क्‍यों

रिमोट वोटिंग मशीन नई व्‍यवस्‍था है। ऐसे में इस व्‍यवस्‍था के बारे में राजनीतिक दलों को शंका हो सकती है। वे इस बारे में अपनी चिंताएं चुनाव आयाेग के सामने रख सकते हैं। लेकिन ठीक चुनाव आयोग के न्‍यौते के एक दिन पहले मशीन का विरोध करने का फैसला विपक्षी राजनीतिक दलों की मंशा पर सवाल खड़े करता है। रिमोट वोटिंग से मतदान की व्‍यवस्‍था भी भारत का चुनाव आयाेग ही करेगा। अगर विपक्षी राजनीतक दलों को इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की व्‍यवस्‍था पर भरोसा है तो ये दल रिमोट वोटिंग मशीन पर अविश्‍वास कैसे कर सकते हैं।

करोडों लोग नहीं कर पाते मतदान

भारत में बड़े पैमाने पर लोग तमाम वजहों से अपने घर से दूर दूसरे शहरों या प्रदेशों में रहते हैं। इनमें नौकरी, रोजगार सहित तमाम वजहें शामिल हैं। इनकी संख्‍या करोड़ों में है। इनमें से काफ़ी लोग चुनाव के समय अपने लोकसभा क्षेत्र नहीं पहुंच पाते हैं। और इस तरह से ये अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। काफी लंबे समय से ये मांग हो रही है कि चुनाव आयोग ऐसे लोगों के लिए कोई व्‍यवस्‍था करे जिससे ये लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। इससे वोटिंग प्रतिशत भी बढ़ेगा और लोकतंत्र मजबूत होगा।

क्‍या विपक्ष नहीं चाहता बढ़े वोटिंग प्रतिशत

रिमोट वोटिंग मशीन के विरोध को देखते हुए सवाल उठता है कि क्‍या विपक्ष नहीं चाहता कि चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत बढ़े और अधिकतर लोग लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व में अपनी शिरकत करें। विपक्षी दलों को अगर चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है तो उसे चुनावों का बहिष्‍कार करना चाहिए। ऐसा कैसे हो सकता है कि चुनाव आयोग की इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन तो ठीक है लेकिन रिमोट वोटिंग मशीन पर आपको शक है। जबकि रिमोट वोटिंग मशीन के जरिए मतदान भी चुनाव आयोग ही कराएगा। विपक्षी दलों का ये कदम लोकतंत्र को कमजोर करने वाला है और अगर वो अपने इस विरोध पर कायम रहता है तो जनता के बीच यही संदेश जाएगा कि विपक्ष कमजोर है और वो नहीं चाहता है कि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग मतदान कर सकें।

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