अब भारत में बनेगा एस 400 एयर डिफेंस सिस्‍टम,अभेद्य बनेंगी सीमाएं

भारत ने रूस से पांचों एस-400 की आपूर्ति होने के बाद ‘मेक इन इंडिया’ योजना के तहत भारत में 5 और एस-400 स्क्वाड्रन का निर्माण किये जाने की योजना है।

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पीपुल्‍स स्‍टेक ब्‍यूरो। 

रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के पांचों स्क्वाड्रन की आपूर्ति होने के बाद ‘मेक इन इंडिया’ योजना के तहत भारत में 5 और एस-400 स्क्वाड्रन का निर्माण किया जाएगा। अब तक 3 स्क्वाड्रन भारत में आ चुकी है और बाकी दो की डिलीवरी 2024 तक होनी है। दो एस-400 स्क्वाड्रन को भारत की पूर्वी और उत्तरी सीमा पर तैनात किया जा चुका है और तीसरे को तैनात किये जाने की योजना है। इसके पहले वायुसेना जल्द ही इस रूसी वायु रक्षा प्रणाली से भारत में हवाई लक्ष्य के खिलाफ ‘फायरिंग ट्रायल’ करेगी।पूर्व वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि फिलहाल भारत के पास आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) और इजराइली स्पाइडर क्विक रिएक्शन सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। रूस से भारत को पांच एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 मिल रहे हैं, जिसमें 3 मिल चुके हैं। बाकी दो की डिलीवरी 2024 तक होनी है। इसके बावजूद पड़ोसी देशों से लगी लगभग 15 हजार किमी. लम्बी सीमा की निगरानी करने के लिहाज से भारत के पास मिसाइल डिफेंस सिस्टम कम हैं, इसलिए भारत ने रूस से पांचों एस-400 की आपूर्ति होने के बाद ‘मेक इन इंडिया’ योजना के तहत भारत में 5 और एस-400 स्क्वाड्रन का निर्माण किये जाने की योजना है।

चीन-पाकिस्‍तान को जवाब देने के लिए ताकतवर एयर डिफेंस सिस्‍टम की ज़रूरत

पूर्व वायु सेना प्रमुख भदौरिया ने कहा कि चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए भारत को रूस में बने इस ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की बहुत जरूरत थी। भारतीय वायुसेना लगभग 3 साल से चीन सीमा (एलएसी) पर चल रहे गतिरोध के बीच बड़े पैमाने पर वायु रक्षा प्रणाली की जरूरतों को देखते हुए हवाई निगरानी कड़ी करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। ये सरहद तीन सेक्टरों में बंटी हुई है, जिसमें पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मध्य सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश है।

मेन इन इंडिया के तहत होगा निर्माण

इसी तरह भारत और पाकिस्तान के बीच एक अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जो भारतीय राज्यों को पाकिस्तान के चार प्रांतों से अलग करती है। पाकिस्तान के साथ लगी सीमा की कुल लंबाई 3,323 किमी. है। भारत की सीमाएं 7 देशों से मिलती हैं, जिसमें पाकिस्तान, चीन के अलावा नेपाल, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश हैं। इसमें नेपाल, भूटान और म्यांमार की सीमाओं पर लोग आसानी से एक से दूसरे देश में जा सकते हैं, लेकिन पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश की सीमाओं पर कड़ी चेकिंग की जाती है। पूर्व वायु सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि एस-400 का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ के तहत किया जाएगा और इसके साथ ही स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद की जाएगी। एस-400 एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल आवाज की गति से भी तेज रफ्तार से हमला बोल सकती है।

पांच सिस्‍टम का हो चुका है सौदा

भारत और रूस के बीच हुए पांच स्क्वाड्रन एस-400 मिसाइल सिस्टम का यह सौदा 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है, जो आरकेएस भदौरिया के कार्यकाल में हुआ था। यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस अब तक भारत को 3 एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति कर चुका है, जबकि दो सिस्टम अभी मिलने बाकी हैं। रूस से मिली दो एस-400 स्क्वाड्रन को देश की उत्तरी और पूर्वी इलाकों में तैनात किया जा चुका है। तीसरी स्क्वाड्रन को पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किए जाने की तैयारी है। फिलहाल उत्तरी-पूर्वी सीमा पर तैनात एस-400 चीन सीमा के लद्दाख सेक्टर के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के नाजुक चिकन नेक कॉरिडोर को कवर कर सकती है। दूसरी स्क्वाड्रन को पंजाब में इस तरह से तैनात किया गया है कि वे पाकिस्तान की सीमा के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में भी देखरेख कर सके।

रूसी मिसाइल सिस्‍टम से खौफ खाती है दुनिया

भारत के रक्षा बेड़े में शामिल हो रहे इस रूसी मिसाइल डिफेंस सिस्टम से पूरी दुनिया खौफ खाती है। यह प्रणाली अपनी मिसाइलों से दुश्मन की बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों, लड़ाकू विमानों को 400 किमी. की दूरी तक तबाह कर सकती है। यह मिसाइल जमीन से 100 फीट ऊपर उड़ रहे खतरे की पहचान करके हमला करने में सक्षम है। भारतीय बलों ने आपूर्ति से पहले रूस में परीक्षण के दौरान एस-400 मिसाइल प्रणाली को दागा था, लेकिन अभी देश में इसका ट्रायल किया जाना बाकी है। वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने बताया कि छोटी और मध्यम दूरी की दोनों मिसाइलों का उपयोग करके तेजी से आगे बढ़ने वाले हवाई लक्ष्य के खिलाफ बहुत जल्द फायरिंग की योजना बनाई गई है।

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