मोदी को मिला है आत्‍मघाती विपक्ष का वरदान

विपक्ष ने 50 साल तक अपने समर्थकों को समझाया कि 370 के बिना कश्‍मीर भारत के साथ नहीं रहेगा, लेकिन हकीकत की जमीन पर विपक्ष कहां खड़ा है उसे खुद पता नहीं

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महेंद्र सिंह

पीएम नरेंद्र मोदी लोकप्रिय हैं। लेकिन वे राजनीतिक के सिकंदर नहीं हैं। मोदी अपराजेय भी नहीं हैं। 2014 के बाद कई राज्‍यों के चुनाव में बीजेपी बुरी तरह से हारी है। मोदी की अपार लोकप्रियता के बावजूद हारी है। हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण के बाद भी हारी है। हां बस बीजेपी मोदी की अगुवाई में देश का यानी लोकसभा का चुनाव नहीं हारी है। वैसे तो इसके कई कारण हैं लेकिन एक बड़ा कारण ये है कि मोदी को कमजोर नहीं आत्‍मघाती विपक्ष का वरदान मिला है। विपक्ष अगर कमजोर होता तो भी काफी संभावनाएं बनतीं कि वो मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी को लोकसभा चुनाव में हरा दो। लेकिन यहां तो विपक्ष ही आत्‍मघाती है। वो समय समय पर खुद ही सेल्‍फ गोल कर देता है। जब जब मोदी थोड़ा कमजोर दिखते हैं। विपक्ष गोल विपक्षी खेमे में मारने के बजाए अपने ही गोल पोस्‍ट पर निशाना लगा देता है। आप कहेंगे कैसे? तफसील से बताते हैं।

विपक्ष ने बीजेपी को सौंप दिया 370 का मुद्दा

इसे समझने के लिए आप कश्‍मीर में धारा 370 का मामला ले सकते हैं। बीजेपी जो पहले जनसंघ थी नेहरू जी के जमाने से ही कश्‍मीर से धारा 370 हटाने की बात करती रही है। और बीजेपी के अलावा लगभग सभी राजनीतिक दल 370 को बनाए रखने की बात करते रहे। लेकिन इसका असर क्‍याा हुआ। समय लगा। लेकिन बीजेपी को इस मसले पर देश भर से समर्थन मिलता रहा और ये समर्थन समय के साथ बढ़ता रहा। और एक समय ऐसा आया जब मोदी की अगुवाई में 2019 में देश में दोबारा सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने कश्‍मीर से धारा 370 खत्‍म कर दिया। जो लोग कश्‍मीर में आग लगने की बात करते थे अब वे खुद अपना अस्तित्‍व बचाने की जद्दोजहद में हैं। और पूर्व रॉ चीफ ए एस दुलत जो कभी 370 के हिमायती थे वे भी अब मानने लगे हैं कि 370 हटने से कश्‍मीर के लोग मुख्‍यधारा से जुड़ रहे हैं। अब सवाल ये है कि किस पंडित ने विपक्ष से कहा था कि ये मुद्दा आप बीजेपी को दे दें। कश्‍मीर के लोग मुख्‍यधारा से जुड़ रहे हैं ये देश के हित में है या देश के खिलाफ है। अगर कश्‍मीर में निवेश आ रहा है कश्‍मीर का विकास हो रहा है तो इससे क्‍या घाटी के लोगों का फ़ायदा नहीं होगा। और घाटी में 90 प्रतिशत आबादी किसकी है। सबको पता है मुसलमानों की।

कोई राजनीतिक दल 370 बहाली की मांग करने की हैसियत में नहीं

रस्‍म अदायगी की बात छोड़ दें तो आज कोई राजनीति दल ये बात खुल कर कहने की हैसियत में नहीं है कि कश्‍मीर में धारा 370 बहाल होनी चाहिए। वजह है देश का जनमानस। देश की जनमानस अब मुखर है। यहां तक कांग्रेस के कई सांसदों ने पार्टी लाइन से परे जाकर कश्‍मीर से 370 हटाने का समर्थन किया। शर्मसार कांग्रेस ने इसे सांसदों की व्‍यक्तिगत सोच बता दिया। कांग्रेस के पास कुछ और कहने या करने को है भी नहीं। कांग्रेस आज ये बात स्‍वीकार नहीं कर सकती कि वो जिस 370 का ढोल दशकों तक बजाती रही वो ढोल देश पर बोझ थी और इस 370 ने कश्‍मीरियों को भारत से घुलने मिलने से रोका। और एक समय तक कांग्रेस को इसका फ़ायदा मिला। लेकिन लंबे समय में अब कांग्रेस को इसका नुक़सान उठाना पड़ रहा है। जिस बीजेपी यानी जनसंघ को दशकों तक कोई गंभीरता से नहीं लेता था उसने इस बात की परवाह किए बगैर अपनी बात जनता तक पहुंचाती रही। और बीजेपी देश के एक बड़े वर्ग को समझाने में सफल रही है कि धारा 370 कश्‍मीर के विकास और देश के साथ एकीकरण में एक बड़ी बाधा थी। लेकिन विपक्ष इसे जानते हुए भी स्‍वीकार नहीं कर सकता। अगर विपक्ष अपनी गलती स्‍वीकार करेगा तो उसे उन लाेगों का समर्थन भी गंवाना पड़ेगा जो उसके कोर समर्थक हैं। क्‍योंकि विपक्ष ने अपने समर्थकों को 50 साल तक यही समझाया कि 370 के बिना कश्‍मीर भारत के साथ नहीं रहेगा। इधर 370 हटेगा उधर भारत कश्‍मीर खो देगा।

कश्‍मीरियों ने सिर्फ पाया और खोया सिर्फ आतंकियों ने

कश्‍मीर से धारा 370हट गई है। और भारत ने खोया कुछ नहीं है। सिर्फ पाया है। खोया है अलगाववादियाें ने। आतंकवादियों ने और भारत को कमजोर करने की चाहत रखने वालों ने। पाकिस्‍तान ने खोया है। और दिल्‍ली में बैठ कर दशकों तक कश्‍मीरियों के हिस्‍से को हजम कर जाने वाले दलालों ने खोया है। और आम कश्‍मीरियों ने पाया है बेहतर कल और अपने बच्‍चों का भविष्‍य जो बंदिशों और बंदूक के सायों से मुक्‍त होगा।

खुद को घायल करना ही विपक्ष की नियति क्‍यों है

अगर विपक्ष को लगता है कि धारा 370 आम कश्‍मीरियों के हित में थी और इसे हटाने से भारत के हितों को चोट पहुंची है तो विपक्ष 370 के नाम पर सिर्फ रस्‍म अदायगी तक सीमित क्‍यों है। वो क्‍यों सीए एनआरसी की तरह देश व्‍यापी आंदोलन खड़ा नहीं करते । संसद में आवाज क्‍यों नहीं उठाते । मीडिया में बयान क्‍यों नहीं देते। इसकी वजह समझना मुश्किल नहीं है। विपक्ष को भी पता है कि उसे इस मसले पर और समर्थन नहीं मिलेगा। जिनका समर्थन मिलना है वे पहले से उसके साथ हैं। उलटे ये मसला उठाने पर उसका समर्थन और कमजोर होगा। क्‍योंकि कश्‍मीर में जमीन पर हालात बदल चुके हैं। अब कश्‍मीर में भारत सरकार के ही खर्चे पर पलने वाला कोई अलगाववादी भारत सरकार को ब्‍लैकमेल नहीं कर सकता। कश्‍मीर के मासूम नौजवानों के हाथों में पत्‍थर नहीं थमा सकता है। इसीलिए वे चुप हैं। कुछ लोग मातम भी कर रहे हैं। लेकिन चुपकेचुपके।

इसीलिए ये विपक्ष आत्‍मघाती है। जिसे पता है कि वो खुद को ही घायल कर रहा है लेकिन ऐसा करते रहना ही शायद उसकी नियति है।

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