नई दिल्लीः ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर मेजर ध्यान चंद स्टेडियम में आयोजित हुए कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करने पहुंचे. पीएम ने इस कार्यक्रम में वीर साहिबजादा को नमन किया। साथ ही साथ माता गुजरी के साहस को भी प्रणाम किया। पीएम ने इस अवसर पर दिल्ली में लगभग तीन हजार बच्चों द्वारा मार्च-पास्ट को झंडी दिखाकर रवाना किया. प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित किया।
पीएम ने कहा कि ये शहीदी सप्ताह और वीर बाल दिवस हमारी सिख परंपरा के लिए भावों से भरा जरूर है लेकिन इससे आकाश जैसी अनंत प्रेरणा जुड़ी हैं। वीर बाल दिवस हमें याद दिलाएगा कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय आयु मायने नहीं रखती। यह याद दिलाएगा कि दस गुरुओं का योगदान क्या है। ‘वीर बाल दिवस’ हमें बताएगा कि- भारत क्या है, भारत की पहचान क्या है! भारत की भावी पीढ़ी कैसी होगी, यह प्रेरणा पर निर्भर है। गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने का प्रण लेना होगा। उन्होंने कहा कि मैं पिता दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी और सभी गुरुओं के चरणों में भी भक्तिभाव से प्रणाम करता हूं। मैं मातृशक्ति की प्रतीक माता गुजरी के चरणों में भी अपना शीश झुकाता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इतिहास से लेकर किंवदंतियों तक, हर क्रूर चेहरे के सामने महानायकों और महानायिकाओं के भी एक से एक महान चरित्र रहे हैं। लेकिन ये भी सच है कि, चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वो ‘भूतो न भविष्यति’ था। एक ओर धार्मिक कट्टरता में अंधी इतनी बड़ी मुगल सल्तनत, दूसरी ओर, ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरु, भारत के प्राचीन मानवीय मूल्यों को जीने वाली परंपरा! एक ओर आतंक की पराकाष्ठा, तो दूसरी ओर अध्यात्म का शीर्ष ! एक ओर मजहबी उन्माद, तो दूसरी ओर सबमें ईश्वर देखने वाली उदारता! इस सबके बीच, एक ओर लाखों की फौज, और दूसरी ओर अकेले होकर भी निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे!