प्रयागराज। ये आंखें बोलती हैं, इसमें खूबसूरत से ख्वाब हैं। लाइब्रेरी है ये दुनिया, हर शख्स किताब है। युवाओं के लिए पुस्तक ही साथी होते हैं। अगर पुस्तकों का साथ मिले, वह भी काम की पुस्तकों का तो फिर कोई जंग मुश्किल नहीं होती। कहते भी हैं कि जिसने भी किताबों संग इश्क लड़ाया, वही सरकारी नौकरी पाया। मोबाइल के युग में भी लाइब्रेरी की अहमियत अपने स्थान पर बरकरार है। लेकिन, अब वह सुविधा मिल नहीं पा रही। किताबों से दूर होती युवा पीढ़ी को एक बार फिर उसके करीब लाने की कोशिश प्रयागराज की दो बहनों ने किया है। मन्नत और रोशनी ने युवाओं के लिए लाइब्रेरी की व्यवस्था की है। यहां पढ़ाई के लिए किताबों की उपलब्धता करा रही हैं। उनके इस प्रयास की अब हर तरफ तारीफ हो रही है। युवाओं को किताबों की भूख और कुछ नया जानने की जिज्ञासा का यहां समाधान हो रहा है। कुछ लोग तो कहते हैं कि करियर की मन्नत है तो ये लाइब्रेरी आपको रोशनी दिखाएगी।
प्रयागराज की दो सगी बहनें मन्नत और रोशनी युवाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर चलना सिखा रही हैं। इस प्रकार की सोच रखने वाले युवओं के लिए मिसाल या यूं कहें तो पथ-प्रदर्शक बन गई हैं। ये लोगों को पठन-पाठन से जोड़ने, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सहयोग के साथ रोजगार के विकल्प भी सुझा रही हैं। चकिया मोहल्ले में रहने वाली मन्नत और रोशनी के पिता अब्दुल शहीद एयरफोर्स में सैनिक हैं। बीबीए करने के बाद कानून की पढ़ाई कर रहीं मन्नत और शिक्षाशास्त्र से एमए कर चुकीं रोशनी प्रतियोगी परीक्षार्थियों को पढ़ने के लिए बेहतर वातावरण उपलब्ध करा रही हैं। इसके साथ-साथ लाइब्रेरी स्थापित कर दोनों बहनों ने युवाओं को किताबें भी उपलब्ध करानी शुरू कर दी हैं। संगमनगरी प्रयागराज की यह लाइब्रेरी अब चर्चा के केंद्र में आ गई है।
बेटियों ने दिखाई राह
पिता एयरफोर्स में रहकर देश की सेवा कर रहे हैं। देश की रक्षा में वे लगे हैं। वहीं, दोनों बेटियां युवाओं को एक अलग रास्ता चुनने में मदद कर रही हैं। वे युवाओं को उनकी रुचि के हिसाब से विषयों को चुनने का टिप्स देती हैं। पिता ने उनकी खासी मदद की है। उनकी ही प्रेरणा से दोनों बहनों ने यूपी लोक सेवा आयोग के कार्यालय के पास एक हॉल किराए पर लिया है। यहां पर वे युवाओं को पढ़ने के लिए स्थान उपलब्ध कराती हैं। थोड़े-थोड़े किताबों से शुरू हुआ कारवां अब बढ़ रहा है। करीने से सजाई गई किताबें आपको लाइब्रेरी का अहसास कराएंगी।
करीब छह माह पहले इस यात्रा की शुरुआत हुई। अपने अलग अंदाज के कारण दोनों बहनों ने सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी। वे युवाओं को अन्य पुस्तकालयों की तर्ज पर केवल किताबों की उपलब्धता नहीं कराती हैं। दोनों बहनें युवाओं के पसंदीदा विषयों के बारे में बताती हैं। उन्हें समझाती हैं। उनकी अच्छाई के साथ-साथ कमजोर पक्ष को भी बताती हैं। यह एक प्रकार की करियर काउंसलिंग होती है। उनका ये अंदाज युवाओं को खासा लुभा रहा है।
युवाओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने की तैयारी
दोनों बहनों ने युवाओं की संख्या को देखते हुए आत्मनिर्भर कैंटीन की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। जल्द ही आर्थिक रूप से कमजोर छात्र की मदद के लिए उनके स्तर पर इस कैंटीन को शुरू किया जाएगा। यहां से चाय की उपलब्धता तमाम पढ़ाई करने आने वाले छात्रों को कराई जाएगी। दोनों बहनों का कहना है कि इससे चाय की तलब के कारण बाहर जाने वाले छात्रों का काफी समय बचेगा।
पढ़ाई करने वालों की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए अन्य व्यवस्था को भी बेहतर बनाने की तैयारी है। एक फोटोकॉपी मशीन भी यहां लगेगी, ताकि अगर किसी युवा को किताब के किसी भाग की फोटोकॉपी करानी होगी तो वहां पर करा सकता है। इसके लिए छात्रों को ही काम दिया जाएगा।
102 छात्रों ने कराया है रजिस्ट्रेशन
लाइब्रेरी में अब तक 102 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। बहनों का कहना है कि पुस्तकालय में पढ़ाकूवीरों के लिए सभी प्रकार के इंतजाम किए जा रहे हैं। सबसे अधिक यहां पर माहौल को शांत रखने पर जोर है। पढ़ाई के समय में आप यहां सुई गिरने की आवाज भी सुन सकते हैं। बहनों ने बताया कि लाइब्रेरी में दो दिव्यांग और 20 से अधिक आर्थिक रूप से कमजोर छात्र रजिस्टर्ड हैं। इनसे फीस नहीं ली जाती है।
पुस्तकालय में अब करीब एक हजार किताबें हैं। साप्ताहिक और दैनिक पत्र-पत्रिकाओं की उपलब्धता कराई गई है। सुबह 6 से रात 10.30 बजे तक यह छात्रों के लिए खुला रहता है। फ्री वाई-फाई की सुविधा भी यहां दी गई है। छात्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से भी किताब लेने के तरीकों के बारे में जानकारी दी जाती है। लाइब्रेरी में किताबों के बारे में इन बहनों ने बताया कि यहां एनसीईआरटी, एसएससी, एनडीए, सीडीएस, एलएलबी, टेट, सीटेट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष रूप से किताबों की व्यवस्था की गई है।