5 पांडव, 100 कौरव और मल्लिकार्जुन खड़गे की लोकसभा में दहाड़

2014 में मोदी लहर के बावजूद लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे खड़गे

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में मल्लिकार्जुन खड़गे सबसे आगे चल रहे हैं। अगर यूं कहें कि उनकी जीत महज औपचारिकता होगी तो गलत नहीं होगा। दक्षिण भारत से आने वाले खड़गे कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता रहे हैं। 2014 में जब कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अपने इतिहास में सबसे कम सीटों पर सिमट गई थी तो ये खड़गे ही थे जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर ‘कौरव’ सेना वाला तंज कसा था। दो बार लोकसभा के सांसद रह चुके खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से पहले राज्यसभा में पार्टी के नेता थे।

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महज 44 सीट ही जीत पाई थी। लोकसभा में 11 जून 2014 को राष्ट्रपति के अभिभाषण का खड़गे जवाब दे रहे थे। उस वक्त वो सदन में कांग्रेस के नेता थे। सदन में बहस के दौरान बीजेपी के नेता राजीव प्रताप रूडी ने एक बयान दिया था। रूडी ने कहा था कि सरकार की जोरदार जीत के बाद भी ये पीएम मोदी की दरियादिली है कि उन्होंने विपक्ष को भी पूरा सम्मान दिया है। इसी बात पर खड़गे ने महाभारत का जिक्र करते हुए कहा था, ‘कृपया ये मत बताने की कोशिश करिए कि हम केवल 44 हैं और आप 300 से ज्यादा हैं। कौरव भी संख्या बल में 100 के ऊपर थे लेकिन 5 पांडवों ने उनपर जीत दर्ज की थी।’

बीजेपी की जीत को बता दिया हार

खड़गे यहीं नहीं रुके थे बल्कि एनडीए की जीत को भी ‘हार’ बता दिया था। खड़गे ने कहा कि एनडीए को चुनाव में महज 31% वोट ही मिले थे। इसका मतलब ये हुआ कि 69% लोगों ने इस सरकार को वोट नहीं किया। इसके बाद भी हम नए पीएम का स्वागत करते हैं।

छात्र संघ के नेता से अध्‍यक्ष तक

खड़गे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र संघ के नेता के रूप में की थी। 1969 में वे एमएसके मिल्स एप्लाइज यूनियन के कानूनी सलाहकार चुने गए थे। फिलहाल खड़गे के सामने अध्यक्ष चुनाव में शशि थरूर चुनौती जरूर दे रहे हैं लेकिन अगर सब ठीक रहा तो इस वयोवृद्ध कांग्रेसी का पार्टी अध्यक्ष बनना तय है। 1972 में पहली बार विधायक बने खड़गे 2008 तक लगातार 9 बार MLA का चुनाव जीत चुके थे। वह 2009 और 2014 में गुलबर्गा से लोकसभा के सदस्य रहे। हालांकि 2019 में उन्हें बीजेपी के डॉ उमेश जी जाधव से हार का मुंह देखना पड़ा था।

 

 

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