Lohri 2023: लोहड़ी के त्यौहार का महत्व, जाने क्यूं सुनाई जाती है दुल्ला भट्टी की कहानी

भारत में मनाए जाने वाले त्यौहारों की लिस्ट बहुत बड़ी है। हर एक महीने में ढेर सारे त्यौहरा आते हैं। उत्तर भारत में मनाया जाने वाला लोहडी साल का पहला त्यौहार होता है.

पीपुल्स स्टेक डेस्क 

नई दिल्ली: भारत में मनाए जाने वाले त्यौहारों की लिस्ट बहुत बड़ी है। हर एक महीने में ढेर सारे त्यौहरा आते हैं। नए साल की शुरुआत के बाद देश में पहला त्यौहार मनाया जा रहा है. उत्तर भारत में मनाया जाने वाला लोहडी साल का पहला त्यौहार होता है. खुशियों की सौगात देने वाला ये त्योहार हर किसी को बहुत पसंद है. लोहड़ी का भारत में बहुत महत्व है.

लोहड़ी एक ऐसे पर्व के रूप में मनाई जाती है जो सर्दियों के जाने और बसंत के आने का संकेत है. इस त्यौहार की सबसे ज्यादा धूम पंजाब और हरियाणा में देखने को मिलती है. यह त्यौहार भारत के अलावा अमेरिका, स्विट्जरलैंड जैंसे देशों में रह रहे देशवासी भी बड़े धूमधाम से मनाते हैं. लोहड़ी पर पूरा मोहल्ला रात को इकट्ठे होकर आग जलाते हैं, फिर लोहड़ी माता की पूजा करते हैं और आग में तिल, मूंगफली पॉपकॉर्न गजक रेवड़ी आदि की आहुति देते हैं. इस मौके पर लोग गेहूं, जौ, चना, मसूर और सरसों की फसलों को आग को समर्पित करते हैं. इस तरह देवताओं को चढ़ावा देकर धन्यवाद दिया जाता है. सभी मिलकर लोहड़ी के गीत गाते हैं और आग के चारों तरफ घूम कर भांगड़ा करते हैं.

लोहड़ी की रात सर्दी की सबसे लंबी रात मानी जाती है. इस रात सबके सुखी जीवन और अच्छे भविष्य की कामना की जाती है. ये त्यौहार ख़ुशीहाली भरा त्यौहार हैं, एकता और जश्न का प्रतीक है। किसान इस दिन को नए साल की आर्थिक शुरुआत के रूप में भी मनाते हैं. लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाई जाती है. पंजाब में दुल्ला भट्टी से जुड़ी एक लोककथा है. दुल्ला भट्टी की याद में ही लोहड़ी के दिन कहानी सुनाने की परंपरा चली आ रही है.

 

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