महेंद्र सिंह
जेल और बेल से बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह का पुराना नाता रहा है। बीजेपी सांसद टाडा एक्ट में तिहाड़ में रह चुके हैं। उन पर डी गैंग के सदस्यों को शरण देने का आरोप था। हालांकि बाद में वे इस आरोप से बरी हुए। इसके अलावा बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भी वे आरोपी बनाए गए थे। इस मामले में भी तमाम दूसरे आरोपियों के साथ उनको अदालत ने बरी किया। इसके अलावा तमाम आपराधिक मुकदमों में भी वे आरोपी रहे हैं। कुछ में बरी हो गए हैं और कुछ मामलों अभी भी अदालतों में लंबित हैं।
अपराधी बन कर इस्तीफा नहीं देंगे सांसद
हालांकि इस बार पहलवानों ने बीजेपी सांसद पर यौन शोषण जैसा गंभीर आरोप लगाया है। लगभग 4 दशक के सार्वजनिक जीवन में बीजेपी सांसद पर तमाम आरोप लगे। लेकिन इस तरह का आरोप पहली बार लगा है। बृजभूष्ण शरण सिंह ने जिस तरह की राजनीति की है और जिस तरह की दबंग छवि बनाई, उसके लिहाज से ये आरोप उनके लिए बड़ा झटका है। लेकिन सांसद ने भी अपने तेवर दिखाए हैं। और इन आरोपों का सामना करने का फैसला किया है।
बीजेपी सांसद इन दिनों अपने राजनीतिक कैरियर के पीक पर हैं। यूपी के साथ देश के दूसरे हिस्सों में भी उनकी सक्रियता है। कुश्ती संघ के अध्यक्ष के तौर पर वे देश केे तमाम हिस्सों में जाते हैं। इससे भी उनकी लोकप्रियता बढ़ रही थी। ऐसे में बीजेपी सांसद बिना लड़े हार नहीं मानेंगे। बृजभूषण शरण सिंह ने कहा भी है कि वे अपराधी बन कर इस्तीफा नहीं देंगे। उत्तर भारत का कल्चर है कि आप पर कानून तोड़ने के आरोप हैं तो आपके साथ लोग खड़े होंगे लेकिन अगर किसी महिला के खिलाफ किसी तरह की जोरजबरदस्ती का आरोप है तो लोग ऐसे किसी व्यक्ति के साथ खड़े नहीं होना चाहते हैं। और यहां तो सांसद की राजनीति दांव पर है। ऐसे में वे अपना पूरा जोर लगाएंगे।
यौन शोषण पर बातचीत का क्या मतलब
महिला पहलवानों के आरोपों पर शक किए बिना ये बात तो कही जा सकती है कि यौन शोषण के आरोपों पर बातचीत का क्या मतलब है। यौन शोषण किसी का भी हो या आपराधिक कृत्य है। इस मामले में एफआईआर होनी चाहिए। और जांच के बाद नियम के तहत कार्रवाई हो। इस मामले में कानून यही है। चाहे छ बार का सांसद हो या कोई आम आदमी।
पहलवान इस तरह का आरोप लगाने के बाद जिस तरह से कुश्ती संघ को लेकर तमाम मांगे रख रहे है। उससे इस बात का संदेह होता है कि ये सिर्फ शाेषण का मामला नहीं है। यहां मामला कुछ और भी है। शक इस बात को लेकर भी हो रहा है आरोप लगाए जाने के बाद भी निर्णायक कदम किसी पक्ष की ओर से नहीं उठाया जा रहा है। न ताे पहलवान इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की पहल कर रहे हैं और न ही कुश्ती संघ के अध्यक्ष खुद पर लगे आरोप के खिनाफ कोई कानूनी कदम उठाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में ये लग रहा है कि दोनों पक्ष एक दूसरे की ताकत को तौल रहे हैं। और अपना आखिरी दांव बहुत सोच समझ कर चलना चाहते हैं।
दोनों पक्षों का बहुत कुछ दांव पर
जाहिर है कि इस मामले में दोनों पक्षों का बहुत कुछ दांव पर लगा है। एक तरफ पहलवानों का कैरियर और उनकी साख है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी सांसद का राजनीतिक जीवन दांव पर है। ऐसे में दोनों पक्ष जल्दबाजी में कोई गलत कदम नहीं उठाना चाहते हैं। तो अभी इस मामले में खेल बाकी है। इंतजार करिए अभी कई तरह चौंकाने वाले शॉट खेले जाएंगे। देखना दिलचस्त होगा कौन आउट होगा और कौन गेम अपने नाम करेगा।