वीरेंद्र नाथ भट्ट
लखनऊ। विद्युत् कर्मचारी संयुक्त समिति ने आज ऊर्जा मंत्री से वार्ता के बाद चार दिनों से चल रहा कार्य बहिष्कार और धरना स्तगित करने की घोषणा करी है. ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से वार्ता के बाद लखनऊ में बिजली विभाग के इंजीनियरों का धरना स्थगित हो गया है। इंजीनियरों का कहना है कि मंत्री ने चेयरमैन को हटाने का आश्वासन दिया है। जिसके बाद धरना स्थगित करना का निर्णय लिया गया है। अगर जल्द मांगों को पूरा नहीं किया गया तो फिर से कार्य बहिष्कार करेंगे।
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा की कार्य बहिष्कार से उत्तर प्रदेश में तीन करोड़ बिजली उपभोक्ता प्रभावित थे। लखनऊ के अलावा बनारस, गोरखपुर, आगरा, बरेली, प्रयागराज, अयोध्या समेत सभी शहरों में कर्मचारियों ने विरोध सभा की। 25 हजार से ज्यादा इंजीनियर और कर्मचारी धरने में शामिल रहे।
विद्युत् कर्मचारी संयुक्त समिति की प्रमुख मांगे
9 वर्ष, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान दिया जाए। निर्धारित चयन प्रक्रिया के अन्तर्गत चेयरमैन, प्रबन्ध निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन किया जाए. सभी बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए
· ट्रांसफार्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाए।
· 765/400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए।
· पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए।
· आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए।
· ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए।
· तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली व उड़ीसा सरकार के आदेश की भांति ऊर्जा निगमों के समस्त संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए।
· बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए।
· भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किए जाए व कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाए।