पीपुल्स स्टेक डेस्क
नई दिल्लीः सुबह से शाम तक रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली ज़रूरी वस्तुओं में से 30 फीसद हम नकली उत्पाद इस्तेमाल कर रहे हैं। दवा हो या मिठाइयां हों या पेय पदार्थ, कपड़े-जूते हों या इलेक्ट्रिक उपकरण, हर प्रकार के उत्पादों में जालसाजी हो रही है। क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक देश में बिकने वाले करीब 25-30 फीसद उत्पाद नकली हैं.
यह कपड़ों एवं एफएमसीजी क्षेत्रों में ज्यादा दिखाई देता है। इसके अलावा दवा, वाहन एवं टिकाऊ उपभोक्ता क्षेत्रों में भी नकली उत्पादों की भरमार देखी जाती है। नकली उत्पाद भारत के सभी महत्वपूर्ण उद्योगों जैसे फार्मास्युटिकल, एफएमसीजी, कन्ज़्यूमर ड्यूरेबल्स/ इलेक्ट्रोनिक्स, कृषि उत्पादों-के स्थायी विकास को प्रभावित कर रहे हैं. बाजार मेें इस तरह के उत्पादों की हिस्सेदारी 30 फीसदी है। इस रिपोर्ट को दिल्ली, आगरा, जालंधर, मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर, कोलकाता, पटना, चेन्नई, बेंगलुरु एवं हैदराबाद शहरों में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया गया है।
क्रिसिल और ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स एसोसिएशन की तरफ से जारी की गई इस रिपोर्ट के अनुसार, दवा एवं औषधि क्षेत्र के 20 फीसद उत्पाद, टिकाऊ उपभोक्ता क्षेत्र के 17 फीसद उत्पाद और कृषि-रसायन क्षेत्र के 16 फीसद उत्पाद नकली हैं। सर्वेक्षण के अनुसार तकरीबन 80 फीसदी लोगों ने इस बात को स्वीकार कि बाजार में नकली उत्पाद मौजूद है और कई वजह से मजबूरी में ऐसे नकली उत्पाद खरीदते है। वही, 27 फीसद खरीदारों को यह पता ही नहीं होता है कि वे नकली उत्पाद खरीद रहे हैं।