10 अरब आबादी को भोजन उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती होगी: एफएओ
प्राकृतिक संसाधनों को लेकर बढ़ती प्रतिस्पर्धा और जलवायु परिवर्तन सामाजिक आर्थिक प्रणाली को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है
पीपुल्स स्टेक नेटवर्क
नई दिल्ली। बढ़ती आबादी को भोजन उपलब्ध कराने की विश्व की क्षमता खतरे में पड़ती जा रही है। अगर बड़े पैमाने पर सामाजिक–आर्थिक और पर्यावरण बदलाव नहीं किए गए तो दीर्घकालिक कृषि खाद्य प्रणाली को हासिल कर पाना नामुमकिन होगा। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही है।
खाद्य एवं कृषि का भविष्य (द फ्यूचर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर) शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2050 तक कृषि क्षेत्र पर दुनिया की 10 अरब आबादी को खिलाने का बोझ होगा। अगर मौजूदा ट्रेंड को बदलने के विशेष प्रयास नहीं किए गए तो इतनी बड़ी आबादी के लिए भोजन उपलब्ध करा पाना बड़ी चुनौती होगी।
रिपोर्ट में कृषि खाद्य प्रणाली की मौजूदा और उभरते ट्रेंड का विश्लेषण किया गया है। साथ ही इसमें यह भी आकलन करने की कोशिश की गई है कि भविष्य में ट्रेंड कैसा रह सकता है। रिपोर्ट में उन मुद्दों और समस्याओं की भी पहचान की गई है जिनका आने वाले दिनों में खाद्य पदार्थों के उपभोग और कृषि उत्पादन पर असर होगा।
रिपोर्ट में नीति नियंताओं से यह आग्रह किया गया है कि वे अल्पावधि की जरूरतों से ऊपर उठकर सोचें। इसके मुताबिक दूरदृष्टि की कमी, टुकड़ों–टुकड़ों में अपनाए गए दृष्टिकोण और महज तात्कालिक समाधान के उपाय सबके लिए भारी पड़ेंगे। इसलिए एक ऐसे दृष्टिकोण की जरूरत है जिसमें दीर्घकालिक लक्ष्य और सस्टेनेबिलिटी को प्राथमिकता दी गई हो।
इसमें कहा गया है कि बढ़ती आबादी, बढ़ता शहरीकरण, मैक्रोइकोनॉमिक अस्थिरता, गरीबी और असमानता, भू राजनीतिक तनाव और युद्ध, प्राकृतिक संसाधनों को लेकर बढ़ती प्रतिस्पर्धा और जलवायु परिवर्तन सामाजिक आर्थिक प्रणाली को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (टिकाऊ विकास के लक्ष्य) के अनेक बिंदुओं की तरफ हम नहीं बढ़ रहे हैं। इन लक्ष्यों को तभी हासिल किया जा सकता है जब कृषि खाद्य प्रणाली को उचित तरीके से बदला जाए।
रिपोर्ट में 18 सामाजिक–आर्थिक और पर्यावरण कारकों की पहचान की गई है जिन्हें ‘ड्राइवर’ कहा गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे यह कारक कृषि खाद्य प्रणाली में होने वाली विभिन्न गतिविधियों को आकार देते हैं। इनमें खेती के अलावा खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य पदार्थों का उपभोग भी शामिल है। इसमें गरीबी और असमानता, भू–राजनैतिक अस्थिरता, संसाधनों की कमी तथा जलवायु परिवर्तन को महत्वपूर्ण कारकों में रखा गया है और कहा गया है कि भविष्य का खाद्य कैसा होगा वह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम इन कारकों का प्रबंधन किस तरीके से करते हैं। अगर हालात अभी की तरह बने रहे तो खाद्य असुरक्षा, संसाधनों की कमी और अस्थिर आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि विकास के टिकाऊ लक्ष्य (एसडीजी) को हासिल करने के रास्ते से दुनिया काफी अलग हट गई है। इसमें कृषि खाद्य के लक्ष्य को हासिल करना भी शामिल है। ऐसे अनेक कारण हैं जो निराशा बढ़ाने वाले हैं, लेकिन रिपोर्ट में यह उम्मीद भी जताई गई है कि अगर सरकारें, उपभोक्ता, बिजनेस, अकादमिक जगत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब भी गंभीरता पूर्वक कार्य करें तो दीर्घकालिक बदलाव लाना संभव है।