नरेंद्र मोदी न तो भारत हैं और न भारत भाग्‍य विधाता फिर…

भारत जोड़ते जोड़ते भारत की अस्मिता पर हमला करने लगे राहुल गांधी

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⇒ महेन्‍द्र सिंह 

नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं। वे न तो भारत हैं न ही भारत के भाग्‍य विधाता। मोदी आए हैं तो जाएंगे भी। लेकिन ये देश रहेगा। और देश की सेना रहेगी। देश की रक्षा करने का सेना का गौरवशाली इतिहास रहेगा। ऐसे में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का ये कहना कि भारत की सेना चीन के हाथों पिट रही है बहुत असंवेदनशील है। भारतीय सेना तो 1962 में भी पिटी नहीं थी जब उसके पास न तो लड़ने के लिए ज़रूरी हथियार थे और न ही रसद। हां भारत और भारतीय सेना हारी जरूर थी। लेकिन देश के सैनिकों ने लड़ते लड़ते शहदात हासिल की थी। और आज भारतीय सेना किसी से पिट जाए इस बात की कल्‍पना करना भी मुश्किल है।

भारत जोड़ते जोड़ते भारत की अस्मिता पर हमला

कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत को जोड़ते जोड़ते भारत की अस्मिता पर हमला कैसे कर सकते हैं। जब भी ऐसा लगता है कि राहुल गांधी नेता के तौर मैच्‍योर हो रहे हैं वे जल्‍द ही ये भ्रम तोड़ देते हैं। मोदी सकरार की कमियां उजागर करने के लिए उनके पास हजारों बातें हो सकती हैं लेकिन आज ये कहना कि भारत की सेना चीन के हाथों पिट रही है राजनीतिक बेवकूफी के अलावा कुछ नहीं हो सकता। अगर ये राजनीतिक बयान है तब भी देश के आम जनमानस को राहुल के इस बयान ने दर्द ही दिया है। देश की सेना मोदी की सेना नहीं है ये भारत की सेना है। भारत की सरहदों की रखवाली करती है। जिन सरहदों में राहुल गांधी भी सुरक्षित हैं और चीन के राजदूत से उस समय गुपचुप तरीके से मिलते हैं जब चीन की सेना गलवान में भारतीय जवानों का खून बहाती है।

9 साल से एक ही गलती दोहरा रहा है विपक्ष

मौजूदा विपक्ष पिछले करीब 9साल से ज्‍यादा समय से ये गलती कर रहा है कि वो मोदी को निपटाने और नीचा दिखाने के लिए भारतीय अस्मिता और स्‍वाभिमान पर हमला करने से गुरेज नहीं करता है। और विपक्ष को इससे नुक़सान ही हुआ है। क्‍या विपक्ष के पास मोदी से राजनीतिक लड़ाई लड़ने का कोई और तरीका नहीं है। इतना लंबा अरसा हो गया अब तो विपक्ष को समझ जाना चाहिए कि मोदी नेता हैं वे एक राजनीतिक दल से आए हैं। लेकिन देश और मोदी अलगअलग हैं।

पाकिस्‍तान और विपक्ष के नेताओं के सुर एक जैसे

अक्‍सर विपक्षी नेताओं और पाकिस्‍तान के नेताओं के बयान में खतरनाक समानता नजर आती है। विपक्ष के नेता कहते हैं कि मोदी आरएसएस के प्रधानमंत्री है और पाकिस्‍तान के नेता भी यही कहते हैं। विपक्ष के नेता कहते हैं कि कश्‍मीर को भारत ने जेलखाना बना दिया है पाकिस्‍तान के नेता भी यही कहते हैं। दुनिया में भारत विरोधी जो भी नरैटिव चलता है उसमें विपक्षी नेताओं का सुर साफ सुनाई देता है। इस तरह के बयानों से विपक्ष एक वर्ग को तो खुश कर सकता है लेकिन भारत के आम जनमानस में अपनी जगह नहीं बना सकता। मोदी चुनाव दर चुनाव जीत रहे हैं इसमें विपक्ष की इस आदत का भी योगदान है जो अपने ही पैरों पर कुल्‍हाड़ी मारता है।

पवित्र गाय नहीं है सेना

भारत की सेना देश की तमाम संस्‍थाओं में एक संस्‍था है। जिसमें खामियां हो सकती हैं। सेना भी आलोचना से परे नहीं है लेकिन सेना अध्‍यक्ष को गली का गुंडा बताना आलोचना के दायरे से बहुत बाहर चला जाता है। ये विपक्षी नेताओं की बौखलाहट दिखाता है। जब विपक्ष नरेंद्र मोदी से चुनावी मैदान में दो दो हाथ नहीं कर पाता तो ऐसे बयानों का सहारा लेता है।

62 की हार पर रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीे हुई

राहुल गांधी मोदी सरकार पर देश से जानकारी छिपाने का आरोप लगा रहे हैं। ये आरोप सच भी हो सकते हैं। लेकिन इस बात का क्‍या किया जाए कि 1962 में भारत की हार के कारणों की जांच के बनी जांच रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई है। देश को ये जानने का हक है कि हमारी इतनी शर्मनाक हार क्‍यों हुई। और उस समय कांग्रेस की ही सरकार थी और उनके नाना देश के प्रधानमंत्री थे। सुरक्षा के मामलों में भारत में सरकारें देश की जनता से जानकारी छिपाती रहीं हैं लेकिन राहुल के तर्क में दम तब नजर आएगा जब वे बताएंगे कि यूपीए-1 और यूपीए-2 10 सालों से राफेल सौदे की फाइल पर क्‍यों बैठी रही। सौदा क्‍यों नहीं हुआ। सामरिक तैयारी के लिहाज से देश 10 साल पीछे चला गया इसका जिम्‍मेदार कौन है। ये बताए बिना राहुल गांधी के बयानों को वही गंभीरता से लेंगे जो उनकी हर अदा पर पहले से फिदा हैं। लेकिन सिर्फ ऐसे लोगों के समर्थन से राहुल सब कुछ बन सकते हैें देश के नेता नहीं बन सकते।

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