गांव को बरबाद करके यूपी को 1 ट्रिलियन डॉलर की Economy बनाएंगे योगी आदित्‍यनाथ

किसानों के बच्‍चे नोएडा की सोसायटी में गार्ड की 12 घंटे की नौकरी करके यूपी की इकोनॉमी को मजबूत कर रहे हैं

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यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍नाथ ने यूपी को 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का वादा किया है। और वे इस वादे को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी कर रहे हैं. योगी की प्रशासनिक कार्य कुशलता पर कोई सवाल नहीं है. और उनके पास ईमानदार और बेहद कार्यकुशलन नौकरशाहों की टीम भी है.लेकिन अगर आप यूपी के गांव-देहात से जुड़े हुए हैं या वहां रहते हैं तो आपका दिमाग बुरी तरह से चकरा सकता है कि योगी जी गांव-देहात के लिए ऐसा क्‍या कर रहे हैं जिससे गांव में रहने वालों की आमदनी बढ़े और वे भी यूपी को 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की उनकी मुहिम में योगदान दे सकें.

गांव की ताकत पर हमला

आज से नहीं दशकों से गांव के जीवन की ताकत ही खेती रही है। गांव के लोग खेती करके न्‍यूनतम जरूरतों के साथ सस्‍टेनेबल लाइफ जीते आए हैं। ये सही है कि उनके जीवन की गुणवत्‍ता बहुत अच्‍छी नहीं कही जा सकती लेकिन अगर आप गांव से रोजगार के लिए पलायन करके नोएडा या मुंबई में गए युवक की उस लाइफ से तुलना करें जिसमें वो एक अंधेरे कमरे में चार लोगों के साथ अपने जीवन को खुशहाल बना रहा है तो गांव का अभाव से भरा जीवन बुरा नहीं लगता. लेकिन आवारा जानवरों की विकराल होती समस्‍या गांव वालों को उस अभावग्रस्‍त जीवन से भी महरूम कर रही है। गांव के लोग खेती छोड़ रहे हैं। या खेती बटाई पर दे रहे हैं। कुल मिला कर एक खेतिहर परिवार की अपेक्षा बस इतनी रह गई है कि अगर बटाई पर खेत देने से साल भर खाने के लिए अनाज मिल जाए तो अच्‍छा है. और कई मामले तो ऐसे भी देखने में आए हैं कि अब लोग खेत बटाई पर लेने से भी इनकार कर रहे हैं. क्‍योंकि दिन रात खेत की रखवाली करना आसान काम नहीं रह गया है. घर के लड़के पेट पालने के लिए दिल्‍ली से लेकर अंबाला और हैदराबाद तक जाने को मजबूर हैं. यूपी से पलायन कोई नई बात नहीं है लेकिन चिंता की बात ये है कि अब गांव के गांव युवाओं से खाली हो रहे हैं. गांव में वही लोग बच जा रहे हैं जो किन्‍हीं वजहों से घर के बाहर रहना अफ़ोर्ड नहीं कर सकते या वे बाहर काम नहीं कर सकते.

दवा के साथ बढ़ रहा है मर्ज

ऐसा नहीं है कि योगी सरकार ने आवारा जानवरों की समस्‍या से निपटने के लिए कुछ नहीं किया है। सरकार ने कदम उठाएं। आवारा जानवरों को रखने के लिए गौशालाएं बनवाई गईं हैं। उनके चारे के की व्‍यवस्‍था के लिए बजट में भारी भरकम व्‍यवस्‍था की गई है. लेकिन दिक्‍कत ये है कि आवारा जानवरों की संख्‍या हर रोज बढ़ रही है और गौशालाएं पहले ही बहुत कम हैं। उस पर से गौशालाएं चलाने वाले रात में जानवरों को खेतों में हांक कर अपने लिए चारे की व्‍यवस्‍था करते हैं। इसका नतीजा ये है कि न तो सीएम साहब की मंशा पूरी हो रही है और न ही किसानों को अवारा जानवरों के आतंक से मुक्ति मिल रही है।

आवारा जानवरों की समस्‍या कितनी विकराल है। इसकी बानगी आप एक युवक की बेबसी से समझ सकते हैं। बहराइच जिले के निवासी विजय सिंह सरकारी सिस्‍टम से पूरी तरह से निराश हैं। अभी कुछ दिन पहले उनका लगभग 5 एकड़ का गन्‍ना आवारा जानवरों ने चर कर खत्‍म किया है. वे कहते हैं कि अब किसी से कुछ कहने सुनने की हिम्‍मत नहीं बची है. स्‍थानीय अधिकारी शासन को रिपोर्ट भेज देते हैं कि उनके यहां आवारा जानवरों की समस्‍या ही नहीं है। सरकार तो अपने तंत्र का ही मानती है। अभी कुछ साल पहले तक गन्‍ने की खेती से ही विजय सिंह जैसे लाखों परिवारों की अर्थव्‍यवस्‍था खुशहाल थी। जब खेती से पैसा आता था तो घर के लड़के शहर में भी  हैं। पढ़ते थे। बहुत से परिवारों ने अपने बच्‍चों को सिर्फ खेती से ही पढ़ाया। बच्‍चे अब भी शहरों में पढ़़ रहे हैं। लेकिन किसानों के नहीं। ये बच्‍चे सरकारी कर्मचारियों के हैं या व्‍यपारियों के या ठेकेदारों के या दलालों के।

अब खेती की कमाई से बच्‍चों को पढ़ाने के दिन गए

लेकिन योगी जी आपकी सरकार ने ये सुनिश्चित किया है कि अब यूपी का कोई आम किसान खेती की इनकम से अपने बच्‍चे को लखनऊ पढ़ने के लिए नहीं भेज सकता है। उसके लिए साल भर का खाना और खर्च निकालना मुश्किल है तो बच्‍चों को लखनऊ भेज कर कैसे पढ़ाएगा। क्‍योंकि अगर किसी वजह से वो एक रात खेत की रखवाली नहीं कर पाया तो किसान की अर्थव्‍यवस्‍था उसी रात को गोता लगा देती है.

योगी जी को कौन सी इकोनॉमी समझा रहे हैं नौकरशाह

बहुत सरल सी बात है। किसानों का परिवार और उनकी अर्थव्‍यवस्‍था बरबाद हो रही है तो यूपी को इकोनॉमी कैसे बढ़ेगी. नौकरशाह बहुत पढ़े लिखे होते हैं. इसमें कोई शक नहीं लेकिन ये कौन सी इकोनॉमिक पॉलिसी है कि इन्‍वेस्‍टमेंट मीट के लिए सीएम और नौकरशाह दिन रात एक करते हैं कि इससे यूपी में निवेश आएगा. और यूपी के पास पहले से जो क्षमता है यानी खेती किसानी की उसे बरबाद कर रहे हैं या बरबाद होता देख रहे हैं. योगी जी अगर आप ने इस पर गौर नहीं किया तो आपको इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

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