भारत के लिए गेमचेंजर हैं ये 5 बातें

आखिर हर निवेशक ये मान कर ही अपना पैसा बाज़ार में लगाता है कि आने वाले सालों में देश की अर्थव्यवस्था अच्‍छी रहेगी. वो अच्छी रही तो मार्केट भी अच्‍छा करेगा और मुनाफ़ा भी शानदार होगा. और अगर इसका उलटा हुआ, तो नुक़सान भी उठाना पड़ सकता है.

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पीपुल्‍स स्‍टेक ब्‍यूरो।

आखिर हर इक्विटी निवेशक ये मान कर ही अपना पैसा बाज़ार में लगाता है कि आने वाले सालों में देश की अर्थव्यवस्था अच्‍छी रहेगी. वो अच्छी रही, तो मार्केट भी अच्‍छा करेगा और मुनाफ़ा भी शानदार होगा. और अगर इसका उलटा हुआ, तो नुक़सान भी उठाना पड़ सकता है.

इन्‍वेस्‍ट इंडिया के पूर्व MD और CEO दीपक बागला के मुताबिक़, भारत आज सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मोर्चों पर तेज़ बदलावों से गुज़र रहा है, जहां तक आर्थिक बदलावों की बात है, तो वो आपको FDI के आंकड़ों में दिख जाएगा. एक समारोह में कही उनकी बातों के आधार पर हम भारत के भविष्य को लेकर कुछ दिलचस्प बातें साझा कर रहे हैं, जो कुछ इस तरह से हैं.

देश में आया रिकॉर्ड FDI
FDI यानी विदेशी पूंजी, और इस पूंजी के देश में आने का मतलब है कि दुनिया को आपके देश की अर्थव्यवस्था पर भरोसा. निवेशकों को लगता है कि वो भारत में पैसा लगाएंगे तो उनको अच्‍छा रिटर्न मिलेगा. यही वजह है कि पिछले 90 महीनों में रिकॉर्ड 532 अरब डॉलर FDI आया है. देश आजाद होने से, आज तक देश में कुल FDI 950 अरब डॉलर रहा है. यानी, देश में कुल FDI का 50% से ज़्यादा हिस्‍सा मोटे तौर पर पिछले आठ साल में आया है. और ये FDI 162 देशों से और देश के 61 सेक्‍टर में आया है. यानी दुनिया का बड़ा हिस्‍सा भारत में अवसर देख रहा है.

सबसे युवा हैं हम
एक देश के तौर पर भारतीयों की औसत उम्र 29 साल है. और 100 करोड़ की आबादी की उम्र 35 साल से कम है. और हां, साल 2070 तक भारत सबसे युवा देश बना रहेगा. इसका मतलब है कि हमारे पास सबसे ज्‍यादा काम करने वाले हाथ होंगे. युवाओं पर आर्थिक जरूरतों के लिए निर्भर उम्रदराज आबादी कम होगी. हमारी GDP तेजी से बढ़ेगी. ये जापान जैसे देशों की आज की हकीकत से उलट होगा, जहां उम्रदराज आबादी काफी अधिक है और युवा काफी कम. जापान में काम करने वाले बहुत कम लोग हैं, इसकी कीमत जापान को इस तरह से चुकानी पड़ रही है कि वहां की GDP बहुत धीमी रफ्तार से बढ़ रही है.

दुनिया में नंबर 1 हैं हम
आज हम मोबाइल डेटा की खपत में दुनिया में नं-1 है. इस मामले में हमने चीन और अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है. दिलचस्‍प ये है कि आज से तक़रीबन 8.5 साल पहले जब प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल इंडिया कैंपेन लॉन्च किया था, उस समय प्रति व्‍यक्ति डेटा खपत के मामले में भारत की रैकिंग 122 थी. ये बड़ी बात इसलिए है क्‍योंकि आज के युवाओं को डिजिटल क्रांति का फ़ायदा मिल रहा है. नए तरह के कंटेंट बन रहे हैं. यूट्यूब और इंटरनेट के ज़रिए कमाई के नए एवन्‍यू बने हैं और डिजिटल इकोनॉमी तेजी से आगे बढ़ रही है.

अगले 10 साल में हम एक और अमेरिका बना देंगे
भारत में हर एक मिनट में 30 लोग गांव से निकल कर किसी शहर में जा रहे हैं. हम अगले 10 साल में हम एक नया अमेरिका बना लेंगे. इन लोगों को घर, बुनियादी ढांचा, एजुकेशन और पानी सहित जरूरत की हर चीज देनी होगी. यानी घरेलू बाजार में मांग बढ़ेगी. बाजार में घरेलू और विदेशी कंपनियों के लिए मौके बढ़ेंगे. कारोबार बढ़ेगा. सरकार को ज्‍यादा राजस्‍व मिलेगा और सरकार इस राजस्‍व का इस्‍तेमाल आम लोगों के जीवन स्‍तर को बेहतर बनाने में करेगी. और हमारी इकोमॉनी अमेरिका और चीन को टक्‍कर दे पाएगी.

20% मिडिल क्‍लास भारत में होगा
15 अगस्‍त 2047 तक दुनिया का 20% मिडिल क्‍लास भारत में होगा. इसके अलावा दुनिया की 21% प्रतिशत वर्कफ़ोर्स भारतीय होगी. इसका मतलब होगा कि 2047 तक भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था दुनिया की शीर्ष 3 अर्थव्‍यवस्‍थाओं में होगी. देश में मिडिल क्‍लास की बड़ी आबादी होने का मतलब है कि देश की एक बड़ी आबादी को बेहतर भोजन, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं मिल रहीं हैं. मिडिल क्‍लास आबादी अपनी जरूरतों पर काफी खर्च करता है. इससे घरेलू मांग बढ़ती है और इकोनॉमी को मजबूती मिलती है. एक अच्‍छी इकोनॉमी वही होती है तो तो घरेलू मांग पर आधारित हो न कि चीन की तरह निर्यात पर आधारित हो. चीन भी निर्यात आधारित इकोनॉमी के खतरों को भांप कर इसे घरेलू मांग पर आधारित इकोनॉमी बनाने के लिए प्रयास कर रहा है.

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