भारत के क्रन्तिकारी वीर रास बिहारी बोस के जीवन की अहम बातें

रासबिहारी बोस ने 21 जनवरी, 1945 को आखिरी सांस ली थी. रासबिहारी बोस देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। आजाद हिंद फौज के गठन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी, जिसकी कमान बाद में उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सौंपी थी।

0 31

पीपुल्स स्टेक डेस्क 

नई दिल्लीः देश और दुनिया के इतिहास में 21 जनवरी की तारीख तमाम अहम् वजह से दर्ज है, लेकिन इस तारीख का भारत के क्रन्तिकारी वीर रासविहारी बोस से एक गहरा रिश्ता है. रासबिहारी बोस ने 21 जनवरी, 1945 को आखिरी सांस ली थी. रासबिहारी बोस देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। आजाद हिंद फौज के गठन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी, जिसकी कमान बाद में उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सौंपी थी।

रासबिहारी बोस का जन्म 25 मई, 1886 को बंगाल के वर्धमान जिले के सुभलदा गांव में हुआ था। उन्होंने चांदनगर से अपनी पढ़ाई की थी। स्कूल के दिनों से ही वह क्रांतिकारी गतिविधियों की ओर आकर्षित थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम, गदर आंदोलन और आजाद हिंद फौज के गठन में अहम भूमिका निभाई। बहुत ही कम उम्र में उन्होंने क्रूड बम बनाना सीख लिया था।

1905 में बंगाल के विभाजन से अंग्रेजों के लिए उनके मन में नफरत भर गई। मैजिस्ट्रेट किंग्सफर्ड को मारने के लिए रासबिहारी बोस ने ही बम बनाया था। इस मिशन में चूक हो गई थी। खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने गलती से किंग्सफर्ड की जगह किसी और को मार दिया और पकड़े गए। बाद में उनको फांसी हो गई। लेकिन किसी तरह रासबिहारी बंगाल से बचकर निकल गए। वह देहरादून चले गए.

Leave A Reply

Your email address will not be published.