….प्‍यादे हैं प्‍यादों का क्‍या

कैबिनेट का फेरबदल ही तो है इतना हंगामा क्‍यों है भाई

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महेंद्र सिंह 

पिछले कुछ दिनों से मीडिया में खबरें तैर रहीं हैं। मसला है मोदी कैबिनेट में फ़ेरबदल का। बहुत सारी अटकले चल रही। ये मंत्री जाएंगे। ये नए मंत्री आएंगे। कुछ खबरों में संभावित तिथि भी बता दी गई है। ये तय पाया गया है कि संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले कैबिनेट में बदलाव हो जाएगा। और समय के साथ मोदी कैबिनेट में फेरबदल की खबरों का शोर तेज हो रहा है।

सिर्फ मोदी जानते हैं किसका कटेगा पत्‍ता 

अब बस नाम पता चलता बाकी है कि किसका पत्‍ता कटेगा और किसको कैबिनेट में जगह मिलेगी। मीडिया भी नाम को लेकर सतर्क है। क्‍योंकि मीडिया को गलत साबित करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत शानदार है। और मोदी के बाद अगर किसी को कुछ पता रहता है तो वे हैं गृहमंत्री अमित शाह। उनसे पत्रकार खबर के नाम पर कुछ निकाल पाते हैं ये बात अभी तक तो सामने नहीं आई है। वैसे वे पत्रकारों से जानकारी लेते हैं देते कुछ नहीं हैं। फिर भी पत्रकारों की एक जमात उनको घेरे रहती है। क्‍यों घेरे रहते हैं ये तो वही जाने।

बिसात से बाहर होंगे कुछ प्‍यादे 

वैसे भी मोदी कैबिनेट में मंत्री होने का सुख जो भोग रहे हैं वही बेहतर बता सकते हैं कि मोदी जी के सामने बैठ कर वे कैसा महसूस करते हैं। हम लोग तो दूर से ही अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन मोदी सरकार का 8 साल से ज्‍यादा का समय बीत चुका है और भारत है तो लोकतंत्र ही। ये चीन तो है नहीं कि आप सूचनाओ को कैद कर लें। तो जो खबरें छन कर बाहर आती हैं उसके हिसाब से मोदी कैबिनेट में मंत्री नहीं होते हैं प्‍यादे होते हैं। प्‍यादे तो आप जानते ही होंगे। शतरंज के खेल में होते हैं प्‍यादे। आप ये समझें कि कुछ प्‍यादे खेल में रहेंगे और कुछ प्‍यादों को शतरंज की बिसात से बाहर कर दिया जाएगा। मीडिया वाले इसी को कह रहे हैं कैबिनेट रिसफल।

खैर टीवी और अखबारों में इस खबर को इतना शोर है तो मैने सोचा इस पर भी लिखा जाए। पाठकों को बताया जाए कि कैबिनेट रीसफल का आपके लिए क्‍या मतलब है। मोदी सरकार में वैसे तो 1 से 100 नंबर तक मोदी जी हैं। बाकी कुछ अ‍मित शाह जैसे भी हैं जो लाव लश्‍कर के साथ चलते हैं तो लगता है कि कोई मंत्री जा रहा होगा। वैसे मोदी जी वीआईपी कल्‍चर के बहुत खिलाफ हैं। उनको ये सब तामझाम पसंद नहीं है। लेकिन मोदी जी एसपीजी का क्‍या करें। कानून ही ऐसा है। एसपीजी की बात तो पीएम नहीं टाल सकते।

1 से 100 तक मोदी मोदी 

एक रिटायर्ड नौकरशाह हैं। मोदी सरकार में कई विभागों के सचिव रहे हैं। उन्‍होंने रिटायर होने के बाद एक किताब लिखी। और किताब में सारी अंदर की बातें बता दी। उनका कहना है कि मोदी सरकार में मंत्रियों की वैसी हैसियत नहीं है जैसी पहले की सरकारों में होती थी। अगर किसी मंत्री को अपने मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेस करनी है तो पहले पीएमओ में बताना होगा। मंत्री क्‍या बोलेंगे ये भी दिखाना होगा। और अगर पीएमओ से ओके हो गया तो ठीक नहीं। वरना प्रेस कांफ्रेस भूल जाइये।

आजकल सूचना क्रांति का दौर है। लेकिन बड़े से बड़े पत्रकारों को भी मोदी सरकार के हर मंत्री का नाम नहीं पता होगा। मुझे ही नहीं पता। लोग बताते हैं मोदी जी बहुत कड़े टास्‍क मास्‍टर हैं। खुद बहुत काम करते हैं और अपने मंत्रियों से भी बहुत काम कराते हैं। मोदी जी खुद इतना काम करते हैं कि मंत्रियों के पास करने के लिए कुछ बचता ही नहीं है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कृषि मंत्री रहे नेता से एक बड़े अधिकारी मिलने गए। अधिकारी उस समय तक रिटायर हो चुके थे लेकिन मंत्री जी के क्षेत्र के थे तो कुछ रिश्‍तेदारी टाइप भी थी। रिटायर्ड अधिकारी इस मंशा से गए थे कि इतने बड़े कृषि मंत्रालय के मंत्री हैं। कुछ काम दिला देंगे। रिटायरमेंट का समय भी भारत सरकार के मंत्रालय में कटेगा। लेकिन मंत्री जी के जवाब से हैरान रह गए। मंत्री जी ने कहा कि कोई काम ही नहीं है यहां। सब पीएमओ से होता है। अधिकारी जी चुपचाप लौट आए।

मोदी जी के दूसरे कार्यकाल में वो कृषि मंत्री भी पैदल हो गए। आजकल संगठन मे कुछ प्रभारी टाइप हैं। तो मतलब ये है कि जब सबको पता है कि यहां कोई आए कोई जाए बस एक ही नाम रहेगा। वो नाम है नरेंद्र मोदी तो इतना हंगामा मचाने की जरूरत क्‍या है। होने दो कैबिनेट रीसफल जब शपथ होगी तक पता ही चल जाएगा कि कौन आया कौन गया। ये सब प्‍यादे हैं प्‍यादों का क्‍या?

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