महंगाई, बेरोजगारी और इकोनॉमी पर आपकी पॉलिटिक्स क्या है I.N.D.I.A
चंद्रयान -3 का क्रेडिट नेहरू को देकर मोदी को सत्ता से हटाना आसान नहीं है
महेंद्र सिंह
आगामी लोकसभा चुनाव में लगभग 240 दिन बचे हैं। विपक्ष ने भी खुद को I.N.D.I.A को बैनर तले लामबंद करना शुरू कर दिया है। इस गठबंधन में अब तक 26 राजनीतिक दल शामिल हो चुके हैं। आने वाले समय में विपक्षी गठबंधन में राजनीतिक दलों की संख्या में इजाफा हो सकता है. जाहिर है इस एकजुटता से विपक्षी दल और उसके नेता उत्साहित हैं। उनको लगता है कि अगर मोदी के कैंडीडेट के खिलाफ विपक्ष का एक उम्मीदवार उतारा जाए तो 2024 में मोदी को सत्ता से हटाया जा सकता है। और उनके इस दावे को सच मानने वालों की संख्या कम नहीं है।
मोदी बनाम बाकी सब
विपक्षी दलों की रणनीति काफी अच्छी है। अब तक जो चीजें सामने आईं हैं उससे लगता है कि ये गठबंधन 2024 आम चुनाव तक कायम रह सकता है क्योंकि अगर 2024 में मोदी फिर आए गए तो बहुत से राजनीतिक दलों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। ऐसे में 2024 का चुनाव राजनीतिक दलों के लिए करो या मरो की लड़ाई है। ये चुनाव भारत में लोकतंत्र के लिए भी बहुत अहम है। मोदी सरकार ने बहुत सारे मोर्चे पर बहुत काम किए हैं लेकिन एक मजबूत सरकार बहुत लोकतांत्रिक भी हो ये जरूरी नहीं है। खास कर जब विपक्ष कमजोर हो किसी तरह का आंदोलन खड़ा न कर पा रहा है। अब तक सिर्फ किसानों ने इस सरकार को चुनौती दी है और मोदी सरकार को किसानों की मांगे मान कर तीन कृषि कानून वापस लेने पड़े जिनका वे विरोध कर रहे थे।
किसानों का ये आंदोलन किसानों का था और विपक्ष इस आंदोलन का श्रेय नहीं ले सकता है। विपक्ष मोदी सरकार की आलोचना में कोई कमी नहीं रख रहा है। लेकिन पिछले 9 साल से अधिक समय हो गया लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा खत्म नहीं हो रहा है। ऐसा नहीं है मोदी सरकार की 9 साल में असफलताएं कम हैं। लेकिन विपक्ष जुबानी आलोचनाओं से ही मोदी सरकार को सत्ता से हटाना चाहता है। विपक्ष ने देश के सामने ऐसा वैकल्पिक कार्यक्रम पेश नहीं किया है जिससे देश के लोगों को उम्मीद पैदा हो कि उनके सामने एक बेहतर विकल्प है और वे इस विकल्प के लिए वोट दें। हाल में हुए एक सर्वे में देश के लोगों ने देश महंगाई बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जताई है।
महंगाई,बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर क्या है रोडमैप
ये सही समय है जब विपक्ष देश के लोगों की चिंताओं को समझे और महंगाई, बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था को तेज गति से आगे बढ़ाने का रोडमैप जनता के सामने पेश करें। विपक्षी नेताओं का यही कहना काफी है कि उनकी सरकार आएगी तो वे महंगाई, बेरोजगारी दूर करेंगे। अर्थव्यवस्था मजबूत करेंगे। विपक्षी राजनीतिक दलों को ये समझना होगा कि नरेंद्र मोदी और अमितशाह ने देश की राजनीति को पूरी तरह से बदल दिया है। अब आप सिर्फ जुबानी जमा खर्च करके दिल्ली की गद्दी हासिल नहीं कर सकते। देश के तमाम राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें हैं। उनके पास मौका है कि वे अपने यहां अच्छी सरकार चलाए और आज लोगों के जीवन में बदलाव लाएं। लेकिन अगर विपक्षी दल राज्यों में ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो केंद्र में ऐसा कैसे कर पाएंगे।
विपक्षी नेताओं के दावों की असलियत आप कर्नाटक के उदाहरण से समझ सकते हैं। कर्नाटक में कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को 40 प्रतिशत कमीशन वाली सरकार कहा। पे सीएम का नारा लगाया। ये सिर्फ आरोप नहीं जमीनी सच्चाई थी। जनता ने कांग्रेस की बातों पर भरोसा किया। बीजेपी को सत्ता से हटाया और कांग्रेस को इस लायक बनाया कि वह राज्य में एक मजबूत और फ़ैसले लेने वाली सरकार दे। लेकिन क्या कोई दावे से कह सकता है कि कर्नाटक में कमीशन बंद हो गया। या कांग्रेस ने कितने बीजेपी नेताओं के खिलाफ़ एक्शन लिया। कांग्रेस के पास यहां मौका था कि वे पिछली भ्रष्ट सरकार के कार्यकाल में हुए करप्शन को उजागर करती और नेशनल लेवल पर इसे प्रोजेक्ट रके बीजेपी को एक्सपोज करती। लेकिन कांग्रेस तो सीबीआई,ईडी के डर से मुक्त ही नहीं हो पा रही है। डरे हुए लोग बदलाव नहीं लाते।